रेलयात्रा के क्रम में जब ट्रेन पटरी पर दौड़ रही हो और उषाकाल का समय हो यानी सूर्योदय अभी हुआ नहीं है, तब इस उषाप्रकाश में आप पटरी किनारे देख सकते हैं, ऐसे नज़ारे, जो सरकार की योजना ओडीएफ (खुले में शौच से मुक्ति) को खुले में चुनौती दे रहे होते हैं। महानंदा एक्सप्रेस से नई दिल्ली जाते समय मुगलसराय आते-आते ट्रेन पर सुबह हो जाय, तो खुले में शौच करनेवाले पुरुष हो या स्त्रियाँ सरकार की इस योजना को ठेंगा दिखाते मिलेंगे। सरकार चिल्लाते रहे, किन्तु हम आम जनता खुले में मल त्यागते रहेंगे! यह सिर्फ मुगलसराय की बात नहीं, सुबह की ट्रेन यात्रा पर बिहार में कैपिटल एक्सप्रेस से नवगछिया पहुंच रहे हों, तो खुले में शौच कर रहे होते मर्द, औरत और बच्चे मिलेंगे । इसतरह के नज़ारे दिखाई पड़ने से हम भारतीय ही इस अभियान में पिछते जा रहे हैं।
### आलेखकार -- श्रीमान सदानंद पॉल ।
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