अन्य वेबसाइट के साथ साझा पहल पर पहलीबार कराए गए गोपनीय सर्वेक्षण में सम्पूर्ण भारत के प्रायः जिलों के इतिहास, साहित्य, संस्कृति लिए अनछुए प्रसंगार्थ 'मेरा ज़िला गान, अलहदा पहचान' में बिहार के कटिहार ज़िले के लिए लिखा प्रो0 सदानंद पॉल द्वारा रचित 'कटिहार गान' को DISTRICT OF THE YEAR - 2017 चुना गया है ।
आइये पढ़ते हैं....
"कटिहार ज़िला गान"
क्रंदन नहीं कटिहार, वंदन है, स्पंदन है,
मर्यादित इतिहास लिए, मन यहाँ अर्पण है,
तन दर्पण साथ है, लिए सर्वस्व समर्पण है,
क्रंदन नहीं कटिहार, नंदन है, वंदन है I
गाँधी ओ' मोहन लिए जिन तारीख जनम है,
सौ साल बाद औ' साल, कटिहार लिए प्रण है,
सात बहनों के प्रवेशद्वार, यह कटि-हरण है,
क्रंदन नहीं कटिहार, नंदन है, वंदन है ।
मेंहीं-तेग-शौक़त-भूमि, अनूप-नक्षत्र-बनफूल है,
गंग-कोश, महानंदा, पांडव भी, गोरखी त्रिशूल है,
अद्रिप्त जन यहाँ औ' कुछ नहीं शेष शमन है,
क्रंदन नहीं कटिहार, नंदन है, वंदन है ।
आतिथ्य प्रखर, सुभगशील, हर मौसम बरसात है,
गंग-कोश, महानंदा, पांडव भी, गोरखी त्रिशूल है,
अद्रिप्त जन यहाँ औ' कुछ नहीं शेष शमन है,
क्रंदन नहीं कटिहार, नंदन है, वंदन है ।
आतिथ्य प्रखर, सुभगशील, हर मौसम बरसात है,
मीनमेख राजनीति यहाँ, अष्टावक्र पे अट्टहास है,
पीरमज़ार, गुरुद्वारा भी, लिए मन-मंदिर चमन है,
क्रंदन नहीं कटिहार, नंदन है, वंदन है ।
0 comments:
Post a Comment