बिहार इंटरमीडिएट साइंस और आर्ट्स का रिजल्ट काफी खराब रहा, किन्तु मेधावी छात्र अवश्य निखरकर आये हैं । कोई भी परीक्षा कदाचारमुक्त होनी ही चाहिए । रिजल्ट खराब आने के लिए सिर्फ विद्यार्थी को दोष देना खालिश एकपक्षीय स्थिति होगी, क्योंकि विद्यालय में गुरुजी जबसे सरकार से प्रताड़ित होने लगे हैं, यथा:- छात्रों की संख्या के अनुपात में बहुत ही कम शिक्षकों का होना, शिक्षकों को अन्य विभागों से सबसे कम वेतन और वो भी अनियमित मिलना, बच्चों के गलतियों पर उन्हें शिक्षकों द्वारा डाँटने भर से अभिभावकों को बुला लिया जाना, फिर इन शिक्षकों को अभिभावकों द्वारा गाली-गलौज और मार-पीट किये जाने से शिक्षक अब सिर्फ कोरम पूरा करते भर हैं । करे भी क्या शिक्षक ? इधर अभिभावक भी विद्यालय आकर बच्चों की पढ़ाई के बारे न पूछकर छात्रवृति, साइकिल, पोशाक की राशि उनके बच्चों को मिला या नहीं, उनके बारे में ही प्रिंसिपल से जानकारी लेते हैं तथा बच्चों के 75℅ हाजिरी बनाने के जुगत में रहते हैं ।
इस रिजल्ट के बुरा स्वप्न से निकल आईएएस का रिजल्ट भरोसा जगाता है । पहली जून भारत के प्रथम आईसीएस सत्येंद्र नाथ टैगोर का जन्मदिन था और इस साल के आईएएस का रिजल्ट भी इसी दिन के अखबारों में प्रकाशित हुआ है। बहुत वर्षों के बाद टॉप-10 में बिहार के छात्र भी हैं और टॉप-10 से बाहर तो कई छात्रों ने उत्तीर्णता हासिल किए हैं, इसलिए हम अब आईएससी के इन खराब रिजल्ट के दुःस्वप्नों से बाहर निकल आईएएस रिजल्ट में स्थान पाए बिहारी सफलताओं का नगाड़े बजाएं ।
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